प्याज की जमाखोरी और टमाटरों के बढ़ते दामों को काबू में रखने में नाकाम रही सरकार अब तकनीक का सहारा लेने जा रही है। सरकार ने वैज्ञानिकों से इस संभावना की पड़ताल करने को कहा है कि महंगाई बढ़ने पर क्या थ्री-डी प्रिंटिंग तकनीक से आलू-प्याज और टमाटरों का उत्पादन कर आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने हमें बताया कि सरकार अब मान चुकी है कि देश में जमाखोरी लाइलाज है। यह ऐसा मसला है जिसके लिए सरकार सीमा पार आतंकवाद को दोषी ठहराकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती। चीन की घुसपैठ को भी इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि अब जनता समझदार हो गई है। इंटरनेट से वह सही-गलत फैक्ट्स जान लेती है। ऐसे में अब सरकार ने अंतिम उपाय के तौर पर थ्री- डी प्रिंटिंग तकनीक का सहारा लेने का निश्चय किया है। इस संबंध में वैज्ञानिकों से थ्री-डी प्रिंटिंग तकनीक की सहायता से खासकर आलू-प्याज और टमाटरों का उत्पादन करने की कार्ययोजना बनाने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि इस योजना को युद्ध स्तर पर शुरू किया जाए। जरूरत पड़ने पर विकसित देशों के साथ टेक्नीकल कोलैबरेशन भी किया जा सकता है। आदेश के बाद वैज्ञानिकों का 30 सदस्यीय एक दल थ्रीडी तकनीक का अध्ययन करने के लिए अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के दो माह के दौरे पर रवाना भी हो गया है। अमेरिका के मिस्सीसिपी प्रांत में इसको लेकर कुछ विफल प्रयोग हुए थे। यह दल वहां जाकर इस बात की भी पड़ताल करेगा कि आखिर थ्री-डी आलू-प्याज और अन्य सब्जियों का प्रयोग अमेरिका जैसे देश में कैसे विफल हो गया। इस अनुभव के आधार पर भारत में आगे का अनुसंधान कार्यकिया जाएगा।
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