कंजूस के बच्चे
एक कंजूस आदमी जिंदगी भर अपने बच्चों को कम से कम खर्च करने की हिदायतें देता रहा था। जब वह मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया तो उसके लड़के आपस में मशविरा करने लगे कि किस प्रकार पिता की इच्छा के अनुसार कम से कम खर्च में उनकी अंतिम यात्रा निपटाई जाए।
एक ने कहा, "एंबुलेंस में ले जाया जाए।'
दूसरे ने कहा, "नहीं, एंबुलेंस बहुत महंगी होगी। ठेलागाड़ी में ले चलते हैं।'
तीसरे ने कहा, "क्यों साइकिल पर बांधकर ले चलें?'
यह सब सुनकर कंजूस से रहा नहीं गया। उठकर बोला, "कुछ मत करो, मेरा कुर्ता और जूते ला दो। मैं पैदल ही चला जाऊंगा!'
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