बदलने का अभियान संयोग से प्रेमी-प्रेमिका की शादी हो गई। अब वे पति-पत्नी थे। रात में सोते समय पत्नी रोज पति को समझाती थी कि देखो देर रात तक घूमा मत करो, ये बीड़ी-सिगरेट ठीक नहीं है,'' इसका सेवन मत करो। शराब पीना अच्छा नहीं है, इधर-उधर बेमतलब मत जाया करो, अपना काम किया करो, इस तरह के कपड़े मत पहना करो, ऐसे चला मत करो, वगैरह। रोज कुछ न कुछ समझाती और पति भी उसकी हर बात को मानता चला गया। वह अब कोई ऐसा काम नहीं करता था जो पत्नी को पसंद न हो। ऐसे चलता रहा। बड़ा सुखद जीवन चल पड़ा। फिर पांच साल बाद एक दिन पत्नी ने कहा, ‘एक बात कहूं,' तुम बुरा तो नहीं मानोगे?’ पति ने कहा, ‘आज तक तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है? सब बातें बिना कुछ कहे मान ली है। कहो जो कहना है।’ पत्नी बोली, ‘वो सब तो ठीक है लेकिन अब तुम पहले जैसे नहीं रहे!
Friday, 17 July 2015
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