1.धर्म तक तो ठीक है, मगर आपने अगर ये कह दिया कि आतंकवाद का कोई देश नहीं होता, तो पाकिस्तान बुरा मान जाएगा। 2.याकूब की फांसी पर बहाए गए आंसूओँ को अगर इकट्ठा कर लिया जाए तो उससे देश कमज़ोर मॉनसून संकट से निपट सकता है। 3.याकूब को दी गई फांसी और कलाम साहब की याद में बहाए जा रहे आंसुओं के बीच का अंतर उनके कर्म है, धर्म नहीं। बाकी सहमत तो लोग ईश्वर पर भी नहीं हैं। 4.आतंकी के ज़िंदा पकड़े जाने की ख़बर गलत निकली। मगर तब तक तो उसकी जान माफी की बहुत सारी चिट्ठियां राष्ट्रपति के नाम लिखी जा चुकी थी। 5.साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए सरकार को मारे गए आतंकियों का नाम-अमर, अकबर, एंथनी बताना चाहिए। 6.आतंकवादियों को ज़िंदा पकड़ने के बजाए उन्हें गोली मारकर सुरक्षाबलों ने मानवाधिकारों का हनन किया है।
Monday, 3 August 2015
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